हमारे दिल में चार वाल्व होते है, जिसमे सबसे प्रमुख होता है, महाधमनी वाल्व (Aortic Valve) हृदय वाल्व रोग सबसे गंभीर है। जब हृदय का महाधमनी वाल्व संकरा हो जाता है। वाल्व पूरी तरह से नहीं खुलता है, जो आपके हृदय से मुख्य धमनी (महाधमनी) और आपके शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त के प्रवाह को कम या अवरुद्ध करता है। इसे महाधमनी वाल्व स्टेनोसिस या महाधमनी स्टेनोसिस (Aortic Stenosis) कहा जाता है।
अब तक ओपन हार्ट सर्जरी (open heart surgery ) के जरिए किया जाता था। इस ऑपेरशन मैं छाती पर चीरा लगाकर हार्ट को खोलकर खराब वाल्व की जगह दूसरा वॉल्व लगया जाता था। ये कफी गंभीर और जटिल सर्जरी होती है इसमें काफ़ी दिन हॉस्पिटल मैं भर्ती रहना होता है। इस ऑपरेशन से रिकवरी मैं 30 से 45 दिन लगते हैं। इस ऑपरेशन में जोखिम भी काफी होता है।
ज्यादातर एरोटिक वाल्व की सिकुड़न बढ़ती उम्र में ही पाई जाती है। कुछ मामलों (cases) में, यह जन्म के समय या कम उम्र में पाया जाता है। क्यूंकि ये ऑपेरशन अधिकतर ओल्ड ऐज (Old Age) में होता है एवं इस उम्र में किडनी, फेफड़े (lungs) आदि की बीमारियां अधिकतर लोगो में पायी जाती है। और इस उम्र में शरीर बहुत कमजोर होता है इसलिए ओपन हार्ट सर्जरी में जटिलता अधिक होती है।
अब पिछले कुछ वर्षो से बिना सर्जरी के एक पतले से तार के जरिये ( जिसे तरह हार्ट अटैक में खून की धमनियां मैं एंजियोप्लास्टी और स्टंट लगते है वैसे ही ) हार्ट के वॉल्व में एक स्टेंट के माध्यम से एक नया वॉल्व स्थापित करने की प्रक्रिया को TAVI ( Transcatheter Aortic Valve Implantation ) कहा जाता है। इस प्रक्रिया के जरिए पिछले 15 साल से पूरी दुनिया में ऑपरेशन किया जा रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देश में भी कई तावी ( TAVI ) तकनीकों को सफलतापूर्वक किया गया है। इंदौर में इस प्रक्रिया से कुछ ऑपेरशन किये गए जिनके काफी सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए है।
इंदौर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्धांत जैन के अनुसार यह प्रक्रिया बहुत ही सरल और आसान है। लेकिन ऑपेरशन के पहले मरीज के कार्डियोलॉजिस्ट यानी हृदय रोग विशेषज्ञ को बहुत विस्तार में मरीज की जांच करनी पड़ती है। मरीज की इको (ECHO) जाँच में वाल्व को सावधानीपूर्वक मापा जाता है। फिर उसका सीटी स्कैन भी किया जाता है। जिससे पता चलता है कि मरीज TAVI प्रक्रिया के लिए उपयुक्त है या नहीं। उसके पैरो की नशो की जांच की जाती है। अधिकतर मरीज का इलाज इस प्रक्रिया में किया जाता है।
आजकल ज्यादातर मरीजों के लिए यह प्रक्रिया संभव है। उन रोगियों के लिए तावी तकनीक (TAVI Technique) का बहुत महत्व है। जिनके हार्ट की सर्जरी संभव नहीं है या उनका ओपन-हार्ट ऑपरेशन बहुत जोखिम भरा है। ऐसे मरीजों के लिए तवी तकनीक बहुत कारगर है।
तावी प्रक्रिया में मरीज को ज्याद बेहोश भी नहीं किया जाता एवं ICU में भी आमतौर पर एक ही दिन रखा जाता है। पैर की नशो मैं एक पतला तार डाला जाता है. उस तार को दिल के अंदर ले जाकर कैथे लैब के एक्स-रे को देखते हुए पुराने वॉल्व में बैलोन ( balloon ) से खुलते हैं फिर उसके अंदर एक नया वाल्व स्टेंट के साथ लगा देते है। यह काफी उन्नत तकनीक है। इसके बाद कुछ ही दिन में ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
Cardiologist – Dr. Siddhant Jain ( डॉ. सिद्धांत जैन ) के अनुसार बढ़ती उम्र और लोगों की बिगड़ती जीवनशैली के कारण बीमारियों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन साथ ही, हमारे डॉक्टरों और चिकित्सा विज्ञान की उन्नत तकनीक की मदद से इलाज भी बहुत सरल और सुलभ होता जा रहा है।।